ब्राह्मणी नदी: जानिए ब्राह्मणी नदी के बारे में पुरे विस्तार से | Brahmani river details in hindi
नमस्कार दोस्तों !
ब्राह्मणी नदी भारत के पूर्वी भाग में स्थित यह एक महत्वपूर्ण नदी है। यह नदी ओडिशा राज्य में है। महानदी के बाद ब्राह्मणी नदी ओडिशा राज्य का दूसरी सबसे बड़ी नदी है और यह एक प्रमुख मौसूमि नदी है। संख और दक्षिण कोयल नदी के मिलने से बनी यह नदी पूरी तरह से ओडिश के अंदर ही बेहती है और बंगाल की खाड़ी में गिरती है। लगभग 480 किलोमीटर लम्बी यह नदी ओडिशा के सात (7) जिले से होकर गुजरती है। इस नदी को लेकर एक बड़ी किम्बदन्ती भी है जिसे हमे आगे जानने वाले हैं।
भौगालिक स्थिति :
ब्राह्मणी नदी संख और दक्षिण कोयल नदी के संगम से बना है। यह दोनों नदी (संख और दक्षिण कोयल) झारखंड़ राज्य के छोटनागपुर से निकलती है। वहां से निकल कर दोनों नदी ओडिशा के अंदर आते हैं और ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में स्थित राउरकेला सहर के निकट पानपोष नाम के स्थान पर मिल जाते हैं। उसके बाद बनी नदी का नाम ब्राह्मणी पड़ता है।
ब्राह्मणी नदी का गतिपथ :
ब्राह्मणी नदी अपने 480 किलोमीटर की रास्ते में ओडिशा के सात जिले क्रमश: सुंदरगढ़, देओगढ, अनुगुल, ढेंकानाल, कटक, जाजपुर, और केन्द्रापड़ा से होते हुए बैतरणी नदी के साथ मिलकर धामरा में बंगाल की खाड़ी में गिरते हैं , जहाँपर वह अपनी एक बड़ी डेल्टा का निर्माण करते हैं। नदी का कुल जलग्रहण क्षेत्र लगभग 39,033 वर्ग किलोमीटर में फैला है।
पौराणिक और धार्मिक महत्व :
ब्राह्मणी नदी का नाम एक किम्बदन्ती के ऊपर आधारित है। कहा जाता है की ऋषि पराशर इस नदी के पास पहुंचे, वहांपर वह एक नाव में बैठकर नदी पार कर रहे थे जिसे एक मछुआरे की बेटी चला रही थी। उसका नाम सत्यावती था। वहीँ ऋषि पराशर को सत्यवती से प्रेम हो जाता है और बाद में सत्यावती एक पुत्र को जन्म देते हैं, जिनका नाम वेद व्यास है। वेद व्यास जो आगे महाकवि तपस्वी वेद व्यास के नाम से जाने गए। वही वेद व्यास जिन्होंने महाभारत लिखा है। उस जगह को आज भी वेद व्यास के नाम से जाना जाता है।
कृषि :
ब्राह्मणी नदी बेसिन जैव विविधता से समृद्ध है। नदी, आसपास के कृषि भूमि के लिए जीवनरेखा के रूप में कार्य करती है, जिसमे नदी कृषि और पनिय जैसे महत्वपूर्ण चीजों के लिए जल उपलब्ध कराती है। ब्राह्मणी नदी के जल से आसपास के पुरे क्षेत्र में कृषि ओर अन्य कामों के लिए सिंचाई जैसे काम किया जाता है। बिभिन्न जलासय और कनाल के जरिये नदी के पानी को खेतों तक पहुँचाया जाता है। बाकि नदियों की तरह ब्राह्मणी नदी क तट का क्षेत्र उपजाऊ मैदान महजूद है जहाँपर कई तरह के कृषि जात द्रव्य उगाये जाते हैं। यहाँपर धान, गेहूं,और बिभिन्न तरह के सब्जियां ज्यादा मात्रा में उगाया जाता है।
जल संरक्षण एवं बांध :
- ब्राह्मणी नदी ओडिशा में 480 किलोमीटर की दुरी तय करती है और बैतरणी नदी के साथ मिलकर धमरा नाम के स्थान पर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। यह नदी बंगाल की कड़ी में मिलने से पहले एक बड़ी डेल्टा निर्माण करती है जहाँपर भितरकनिका बन्यजीव अभयारण्य स्थित है। यह डेल्टा का क्षत्र साल 1952 तक जमींदारी के अंदर था, उसके बाद ओडिशा सरकार द्वारा वहां के जमीनदार व्यवस्ता को ख़तम किया गया और उसे राज्य बन विभाग के अंतर्गत लाया गया। साल 1975 में इस डेल्टा का क्षेत्र को जो की 672 वर्ग किलोमीटर का है, उसे भितरकनिका वन्यजिव अभयारण्य घोसना किया गया। उसके बाद बर्ष 1998 में इस क्षेत्र के अंदर का 145 वर्ग किलोमीटर की एरिया को भितरकनिका राष्ट्रिय उद्यान (Bhitarkanika National Park) बनाया गया।
- भितरकनिका के अंदर कई प्रकार के विलुप्त प्राय पेड़ पौधे, बिभिन्न प्रकार के पक्षी (लगभग 322 प्रकार), सांप, मगरमछ और अन्य कई प्रकार सामुद्रिक जीव पाए जाते हैं। इसके साथ कई प्रकार के वन्यजीव भी यहाँ महजूद हैं। यह जातीय उद्यान आमतौर पर मगरमछ के लिए जाना जाता है। यहाँपर 1840 से ज्यादा मगरमछ महजूद हैं।
- अगर बांध की बात करें तो इस नदी पर सिर्फ एक ही बांध है "रेंगाली बांध"। रेंगाली बांध 1985 बनाया गया था। सरकारी तथ्य के अनुसार इस बांध को बनाने के लिए 10,700 परिवारों को अपना घर छोड़ना पड़ा था। ओडिशा राज्य का दूसरा सबसे बड़ा बांध है।
ब्राह्मणी पर्यावरण :
ब्राह्मणी नदी भी भारत की अन्य नदियों की तरह रोज अनेक प्रकार के चुनौतियां का सामना कर रही है। रोज, घरेलु के साथ साथ कई शिल्पों और कारखानों का प्रदुषण नदी में मिलता है और प्रदुषण फैलता है। इसके आलावा नदी में रेत का खनन, तटवर्ती क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई जैसे चीजें नदी का परिस्तितिकी तंत्र को पूरी तरह से प्रभाबित कर रही है।
ऐसा इसीलिए क्यों की नदी हमारी माता है पहले के समय में भी अगर हम इतिहास की ओर देखें तो नदियों के तट पर ही सारे समृद्ध सभ्यता का प्रादुर्भाव हुआ था। इसीलिए हम भी नदियों की जल का सही इस्तेमाल करना सीखें। और, अगर हम पश्चिमी देशों को देखें तो, वहां कई सारे उन्नत देश हैं और हमसे ज्यादा शिल्प कारखाना महजूद हैं। उसके बावजूद वहां की नदियों का पानी एकदम साफ़ होता है। इससे उन देशों को बहोत सारे फायदे होतें हैं।
उदहारण के तोर पर डेन्यूब नदी को देखें तो यह नदी यूरोप महाद्वीप की दस देश (Germany, Austria, Slovakia, Hungary, Croatia, Slovakia, Romania, Bulgaria, Moldova, और Ukraine) से होकर गुजरती है, उसके बावजूद इस नदी का पानी हर जगह पर साफ़ होता है। ऐसा इसीलिए क्यों की वहां के सरकारों के साथ साथ लोग भी सजाग रहते हैं।
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